कलयुग तीर्थ थापयो, भाग परावति ।
देश फलोदी मंझ थुप्यों, पाप न रहसी परसिया ।
जाय परसो विष्णु तीर्थ, सिर सूं माटी का काढियो ।
तेरा हुवैं पिछला पाप खंडत, स्वर्ग में सुख लाडियों ।
कह रायचंद सत्य जाणो, पाप न रहसी पापियां ।
अवतार जंम नरेश नै, कल मंझ तीर्थ थापियां ।।
जिस भूमि पंडवी यज्ञ रच्यो, तहां सूत फिराइये ।
जहां सहदेव जी तीर्थ थाप्यो, जीवंडां काजैन्हाइये ।
जीव काजै काढि माटी, पाल पर परवाहिये ।
तेरा हुवै आवागर्वण खंडत, मुक्ति निश्चय पाविये ।
कह रायचंद सत्य जाणो, उस तीर्थ तो जाइये ।
जिस भूमि पंडवा यज्ञ रच्यो, जहां सूत फिराइये ।।
सों पुनि अङसठ तीर्थ थाप्यो, विष्णु तालाव सत जाणियो ।
जिस द्वारिका कृष्ण रहे, मुक्ति हुवै गुय बाणिंयो ।
गुरू बचने मुक्ति लाभे, उस तीर्थ में जाइये ।
काशी बदरी अरू हरि की पैंडी, जाणि गंगा न्हाइये ।
कह रायचन्द्र सत्य जाणो, कां. भूला मन हटे ।
विष्णु तालाब तुम सत्य जाणो, और तीर्थ अडसठे ।।